बिटकॉइन की सप्लाई 21 मिलियन तक पहुँची तो क्या होगा?

बिटकॉइन का लोगो

Introduction

 

दोस्तों, आपने bitcoin का नाम तो सुना ही होगा! यह इंटरनेट की करेंसी है, जिसे कोई सरकार या बैंक नहीं बनाता। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसकी कुल सप्लाई सिर्फ 2 करोड़ 10 लाख (21 मिलियन) ही हो सकती है, इससे ज़्यादा कभी नहीं। अभी तक करीब 1 करोड़ 99 लाख (19.9 मिलियन) बिटकॉइन बन चुके हैं।

तो, अब सवाल आता है: जब बिटकॉइन की सप्लाई 21 मिलियन तक पहुँच जाएगी (यानी सारे बिटकॉइन बन जाएंगे), तो क्या बिटकॉइन की कीमत बहुत ज़्यादा गिर जाएगी? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।

 

बिटकॉइन की ‘कम सप्लाई’ क्यों है खास?

 

सोचिए, अगर किसी चीज़ की सप्लाई (कितनी चीज़ें मौजूद हैं) लिमिटेड हो और उसे पाने वाले बहुत हों, तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। सोना इसका अच्छा उदाहरण है – यह ज़मीन में कम मिलता है, इसलिए महंगा है।

bitcoinभी सोने जैसा ही है, लेकिन डिजिटल रूप में। इसकी कुल संख्या तय है – 21 मिलियन। कोई भी इसे अपनी मर्जी से और नहीं छाप सकता। यह इसे दुनिया की आम करेंसी (जैसे रुपया या डॉलर) से अलग बनाता है, क्योंकि सरकारें अपनी ज़रूरत के हिसाब से नोट छाप सकती हैं, जिससे महंगाई बढ़ती है। बिटकॉइन की यह कमी (लिमिटेड सप्लाई) ही इसे बहुत कीमती बनाती है।

 

जब सारी 21 मिलियन बिटकॉइन सप्लाई हो जाएगी, तब क्या होगा?

 

जब bitcoin अपनी पूरी 21 मिलियन की सप्लाई तक पहुँच जाएगा (अनुमान है कि ऐसा साल 2140 के आसपास होगा), तो कीमत घटने के बजाय, बढ़ भी सकती है! जानिए क्यों:

 

1. कमी का नियम और बढ़ती मांग

 

एक बार जब 21 मिलियन बिटकॉइन बन गए, तो कोई नया bitcoin नहीं बनेगा। इसका मतलब है कि इसकी सप्लाई हमेशा के लिए ‘फिक्स’ हो जाएगी। दूसरी तरफ, बिटकॉइन को खरीदने और इस्तेमाल करने वाले लोग लगातार बढ़ रहे हैं। जब किसी चीज़ की सप्लाई कम हो और मांगने वाले ज़्यादा हों, तो उसकी कीमत ऊपर जाती है। यही आर्थिक नियम बिटकॉइन पर भी लागू होगा।

 

2. बिटकॉइन माइनिंग का भविष्य

बिटकॉइन माइनिंग चित्र

अभी, बिटकॉइन बनाने वाले कंप्यूटर (जिनको माइनर कहते हैं) को नए बिटकॉइन मिलते हैं और लेनदेन की फीस भी मिलती है। जब 21 मिलियन बिटकॉइन बन जाएंगे, तो नए बिटकॉइन मिलना बंद हो जाएगा। लेकिन चिंता की बात नहीं है! माइनर को फिर भी हर लेनदेन पर फीस मिलती रहेगी। उम्मीद है कि तब तक बिटकॉइन का इस्तेमाल इतना बढ़ जाएगा कि ये फीस ही माइनर्स के लिए काफी होगी। माइनर्स ही बिटकॉइन नेटवर्क को सुरक्षित रखते हैं।

 

3. खोए हुए बिटकॉइन भी हैं वजह

 

यह भी सच है कि अनुमानित रूप से लाखों बिटकॉइन हमेशा के लिए खो चुके हैं। लोग अपना पासवर्ड भूल जाते हैं, या कंप्यूटर खराब हो जाते हैं। ये बिटकॉइन कभी वापस नहीं आ सकते। तो, असल में जो बिटकॉइन इस्तेमाल हो सकते हैं, उनकी सप्लाई 21 मिलियन से भी कम होगी, जिससे इसकी ‘कमी’ और बढ़ जाएगी।

 

4. महंगाई से बचाव

 

आजकल, चीज़ों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं (महंगाई)। सरकारें ज़रूरत पड़ने पर ज़्यादा पैसे छाप देती हैं, जिससे पैसे की कीमत कम होती जाती है। बिटकॉइन की संख्या (सप्लाई) तय होने के कारण, यह महंगाई से लड़ने का एक अच्छा तरीका बन सकता है।

 

तो, क्या कीमत क्रैश होगी?

नहीं, ऐसी उम्मीद नहीं है। जब bitcoin की सप्लाई अपनी 21 मिलियन की आखिरी सीमा तक पहुंचेगी, तो इसकी कीमत घटने के बजाय, इसकी ‘कमी’ (scarcity) के कारण और भी बढ़ सकती है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि लोग और कंपनियां इसे कितना अपनाते हैं और कितना इस्तेमाल करते हैं।

Bitcoin मूल्य वृद्धि का ग्राफ

निष्कर्ष

 

bitcoin की कुल 21 मिलियन की सप्लाई सिर्फ एक नंबर नहीं है, बल्कि यह बिटकॉइन की ताकत है। यह इसे एक ऐसी डिजिटल चीज़ बनाता है जो महंगाई से बचाती है और जिसकी संख्या कभी नहीं बढ़ सकती। भले ही अभी वह दिन दूर है जब सारे बिटकॉइन बन जाएंगे, लेकिन यह बात साफ है कि बिटकॉइन की यह कमी ही इसे भविष्य में एक बहुत ही कीमती डिजिटल संपत्ति बनाएगी। यह सिर्फ एक करेंसी नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया का ‘सोना’ बनने की राह पर है।


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